गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस पढ़ने का महत्त्व

 

श्री गणेशाय नमः |

श्री सीतारामाभ्यां नमः |
श्रीमते रामानन्दाय नमः |

श्री गुरुचरण कमलेभ्यो नमः |

श्री हनुमते नमः |

श्री गोस्वामी तुलसीदासाय नमः |

 

श्री सीताराम जी की महान कृपा से श्रीरामचरितमानस रामायण पड़ने और सुनने का शुभ अवसर प्राप्त होता है | इसके पड़ने सुनने से समस्त वेद, पुराण, शास्त्र व् समस्त आगम-निगम ग्रन्थ, मीमांसा व् अनेक रामायण, उपनिषद और श्रुतियों का फल प्राप्त होता है, यह सरल व् सरस् है |

 

|| सरल कविता की कुंजियों में बना मंदिर है हिंदी का, जहां प्रभु प्रेम का दर्शन कराती रोज़ रामायण ||

 

श्री हनुमान जी की कृपा व् प्रेरणा से महर्षि बाल्मीकि जी की पवित्र आत्मा ने ही जीव मात्र के आत्म कल्याण के लिए गोस्वामी तुलसीदास के रूप में पावन अवतार लिया है| इस घोर कलयुग में मानव आत्मकल्याण के लिए गोस्वामी जी ने भगवान् शंकर की कृपा से श्री रामचरितमानस की ग्राम्य भाषा में रचना की| ये ऐसा अद्भुत ग्रन्थ है जिसे श्रद्धा और विश्वास से पड़े तो तत्काल प्रभाव से हृदय शुद्ध हो कर आनंद विभोर हो जाता है | इसमें प्रत्येक शब्द महामंत्र हैं, भगवान् श्री राम  इस स्वरुप रघुवंश मणि हैं, इसमें सम्पूर्ण विश्व के २०० से अधिक भाषाओं का प्रयोग है, यह जग मंगल ग्रन्थ है |

 

|| जग मंगल गुण ग्राम राम के, दान मुकुट धन धरम धाम के ||

 

सलिए भक्तों से प्रार्थना है की श्री सीताराम नाम उच्चारण कर नीरमल मन से श्री रामचरितमानस रामायण का कम से कम २ दोहा प्रति दिन नियमित पाठ करें | ध्यान दें शब्द उच्चारण कर पड़ें, ताकि स्वयं श्रवण अर्थात कान द्वारा शब्द ह्रदय में प्रवेश करें, जिससे स्वयं के पड़े हुए शब्द को सुनने का भी फल प्राप्त होता रहे |

 

प्रति दिन पाठ से दैहिक, दैविक, भौतिक ताप व् रोग से मुक्त हो कर आनंद प्राप्त होगा तथा दिव्य-ज्ञान, भक्तियुक्त-महाज्ञान और भक्ति-ज्ञान का उदय होगा | और पाठ करने वाले की सम्पूर्ण मनोकामना सिद्ध हो जाएगी तथा अंत में राम धाम प्राप्त होगा |

 

रामचरितमानस यही नामा | सुनत श्रवण पाइए  विश्रामा |

रामचरितमानस मुनिभावन | विरचउ संभु सुहावन पावन ||

संभु प्रसाद सुमत ही हुलसी | रामचरितमानस कवि तुलसी |

कहाहीं सुनहिं अनुमोदन करहिं | ते गोपद इव भौं निध तरहीं ||

मन कर विषय अनलबन जड़इ | होइ सुखी जो यही सर परई |

मनकामना सिद्धि नर पावा | जे यह कथा कपट तजि गावा ||

 

इसलिए श्री रामचरितमानस का शुद्ध हृदय से प्रति दिन कम से कम २ दोहा का पाठ करें और भगवान श्री राम के चरणों के अनुरागी बनें तथा दैहिक, दैविक, भौतिक ताप से मुक्त होकर भगवान श्री राम के धाम को प्राप्त करें यह हमारी भक्तों से विशेष प्रार्थना है |

 


 

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